अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, अदानी समूह की कंपनी अदानी पावर ने बीते साल 18 अगस्त को इस कंपनी को ख़रीदने से जुड़े दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किए थे. अदानी और डीबी पावर के बीच हुई इस डील को भारतीय प्रतिस्पर्धा नियामक की ओर से बीते 29 सितंबर को मंज़ूरी मिल गयी थी
और अदानी समूह को 31 अक्तूबर, 2022 तक पैसे का भुगतान करना था.इस समय सीमा को चार बार बढ़ाया गया. भुगतान की अंतिम डेडलाइन 15 फ़रवरी 2023 थी जो बुधवार को ख़त्म हो गयी. अदानी समूह ने इस डील के पूरा न होने से जुड़ी जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दे दी है.
अदानी का ऊर्जा साम्राज्य
डीबी पावर के पास छत्तीसगढ़ के जांजगीर चापा में 1200 मेगावाट का कोयला आधारित पावर प्लांट है. अख़बार के मुताबिक़, डीबी पावर को ख़रीदने से चूकना अदानी समूह के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि इस कंपनी को ख़रीदने से अदानी पावर की भारत के ऊर्जा क्षेत्र में सबसे बड़े निजी थर्मल ऊर्जा उत्पादक के रूप में हैसियत मज़बूत होती.
ये अदानी समूह की ऊर्जा क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी डील थी क्योंकि 2021 में अदानी समूह ने 26,000 करोड़ रुपये में एसबी एनर्जी इंडिया को ख़रीदा था. ये घटनाक्रम बताता है कि अदानी समूह किस तरह अपनी वित्तीय स्थिति को संभालने के लिए अपनी तेज़ रफ़्तार से हो रही ग्रोथ से समझौता कर रहा है.
अदानी पावर के पास 13.6 गीगा वाट की कुल क्षमता वाले पांच राज्यों में थर्मल पावर प्लांट हैं और 40 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट है. लेकिन इस कंपनी पर 30 सितंबर, 2022 तक 36,031 करोड़ रुपये का क़र्ज़ है.अमेरिकी फ़ॉरेंसिक फ़ाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की
रिपोर्ट आने के बाद अदानी समूह दूसरी बार अपनी किसी डील से पलट रहा है. इससे पहले कंपनी ने 20 हज़ार करोड़ रुपये के एफ़पीओ को लौटाने का फ़ैसला किया था.जहां एक ओर कंपनी अपनी वित्तीय सेहत संभालने का प्रयास कर रही है. वहीं, निवेशकों की ओर से चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही है.