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देश सन्न सिसोदिया के इस्तीफे के पीछे खुद इनकी

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पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने राष्ट्रीय फलक पर तेजी से कदम बढ़ाने की रणनीति पर काम करना शुरू किया और अलग-अलग राज्यों में संगठन विस्तार से लेकर चुनावी तैयारियां शुरू की। मिशन 2024 भी पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

आज से नौ महीने पहले दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया और तभी से सत्येंद्र जैन जेल में हैं। अब सीबीआई ने 2021-22 की आबकारी नीति को लागू करने में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में उपमुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार कर लिया है।

मंगलवार को दोनों मंत्रियों के इस्तीफे के बाद पार्टी के सामने दिल्ली में सरकार के स्तर पर तो सबसे बड़ी चुनौती सामने आई ही, वहीं संगठन में भी इनकी भरपाई करना आसान नहीं होगा। सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद उनके सभी विभागों समेत सिसोदिया के पास इस समय 18 विभाग थे

और अब उनके बाद विभागों का बंटवारा करना भी आसान नहीं रहेगा। मनीष सिसोदिया ने पार्टी की प्रमुख योजनाओं का नेतृत्व करने में बड़ी भूमिका निभाई है। सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद से ही विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग उठाता रहा है, लेकिन उनके सभी विभाग सिसोदिया को सौंप दिए गए थे।

दोनों मंत्रियों के इस्तीफे को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी पार्टी के लिए बड़ा झटका है। मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ा तात्कालिक सवाल तो यह है कि दिल्ली का बजट कौन पेश करेगा? वहीं, अब देश में चुनावी माहौल बनने लगा है

और मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री सिसोदिया भी अलग-अलग राज्यों में चुनावी रैलियों और प्रबंधन के काम को आगे बढ़ाते थे। आप ने सिसोदिया को देश का बेस्ट एजुकेशन मिनिस्टर बताया है और उनकी अनुपस्थिति से केजरीवाल सरकार का शिक्षा मॉडल भी प्रभावित हो सकता है।

शिक्षा और स्वास्थ्य के मॉडल को आप देश भर में प्रचारित करती रही है और पार्टी की ओर से इन दोनों मॉडल का श्रेय सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को दिया जाता रहा है। वहीं, पार्टी से जुड़े जानकारों का कहना है कि जिस तरह से सत्येंद्र जैन के बिना विभाग के मंत्री पद पर रहने के कारण पार्टी पर लगातार सवाल उठा रहे थे,

उसी तरह से अगर मनीष सिसोदिया भी बिना विभाग के मंत्री रहते तो विपक्ष और हमलावर हो सकता था। इसके अलावा इस्तीफे के बाद इन नेताओं के पास कानूनी लड़ाई लड़ना भी थोड़ा आसान होगा। हालांकि पार्टी ने दोनों नेताओं को बेकसूर बताया है। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का कहना है कि दोनों मंत्री बेकसूर हैं।

मगर दिल्ली के काम बाधित ना हों, इसलिए केजरीवाल ने उन दोनों नेताओं का इस्तीफा मंजूर किया है। हालांकि अब आप के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। पिछले साल राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद उन्होंने देश के अलग-अलग राज्यों में पार्टी के विस्तार की योजना बनाई है और लगातार दौरे भी कर रहे हैं। कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में पार्टी विस्तार की योजना पर काम कर रही है।

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