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आजम खान को लेकर बुरी खबर आई सामने आखिर योगी सरकार ने कर दिया

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सपा के दिग्गज नेता आजम खान को घेरने का कोई भी मौका योगी सरकार छोड़ने को तैयार नहीं है। हेट स्पीच मामले में सजा के बाद उनकी विधायकी तक चली गई। लेकिन फिर भी योगी सरकार को लगता है कि सपा नेता को जेल के भीतर ही रहना चाहिए।

दुर्लभ किताबों से जुड़े मामले में योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनको फिर से जेल में भेजने की अपील की। लेकिन हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। योगी सरकार के वकील हाईकोर्ट में पुरजोर दलीलें देते रहे कि आजम को जेल भेजना ही ठीक रहेगा पर हाईकोर्ट ने उनकी एक न सुनी।

सुप्रीम पर किताब चोरी का आरोप तब लगा था जब रामपुर पुलिस ने उनकी जौहर यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी पर रेड की। पुलिस काफी किताबें अपने साथ ले गई। चार लोगों को हिरासत में भी लिया गया। पुलिस का कहना है कि रामपुर में मदरसा आलिया नाम का नवाबों के जमाने का मदरसा था।

इस मदरसे की इमारत आजम खान ने जौहर ट्रस्ट के नाम आवंटित करा ली थी। फिर मदरसा बंद करा दिया गया। मदरसे के प्रिंसिपल ज़ुबेर खान ने जून में दुर्लभ किताबों और पुरानी मेन्युस्क्रिप्ट्स की चोरी की FIR लिखवाई थी। आजम को इस मामले में जमानत मिल गई थी। अलबत्ता योगी सरकार इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गई।

सरकार के वकीलों का कहना था कि किताबें दुर्लभ हैं। आजम बाहर रहे तो मामले से जुड़े साक्ष्यों को खुर्दबुर्द कर सकते हैं। हाईकोर्ट का सवाल था कि अगर वो ऐसा कर सकते हैं तो अब तक कर भी चुके होंगे। गौरतलब है कि यूपी सरकार ने आजम के खिलाफ 88 मामले दर्ज कराए थे।

87 मामलों में पहले से ही जमानत पर चल रहे आजम को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी थी। उनके खिलाफ दर्ज 88वें मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देकर 27 महीनों बाद उनकी जेल से रिहाई करवाई थी। आजम खान ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया जब इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी।

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि सरकार ने मार्च 2020 को खान के खिलाफ मामला दर्ज किया था तो फिर उन्हें गिरफ्तार करने में 18 महीने से अधिक का समय क्यों लगाया। टॉप कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से चार दिन पहले ही एक अन्य केस में आजम खान को जमानत दिए जाने के बाद की गई थी।

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