नई दिल्ली: हर किसी से किसी न किसी तरह गलती हो जाती है। इसी तरह हर मां-बाप को लगता है उनके बच्चे गलतियां करते है, लेकिन कभी-कभी कोई नहीं मानता है कि उससे यह गलती हुई है। आपका एक बात ध्यान नहीं दिया होगा कि आपका बड़ा बेटा हमेशा अपनी गलती मान लेता होगा। इसके साथ ही वह अपनी गलती की सजा के लिए भी हमेशा हाजिर होता होगा। इस बात पर आप सोचते होगे कि आपका बड़ा बेटा बहुत ही समझदार है। जो अपनी गलती मान लेता है, तो हम आपको बता दें कि वह अकेला ही ऐसा नहीं है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि बड़ी संतान अपनी गलतियों को अपने छोटे भाई-बहन की अपेक्षा जल्दी स्वीकार कर लेती है। मैरीलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के किए गए 4 से 9 साल के बच्चों में किए एक अध्ययन के दौरान बच्चों ने काल्पनिक परिस्थतियों में गलतियां कीं और फिर इन गलतियों को स्वीकारा या झूठ बोला।
शोध के परिणाम में सामने आया कि चार से पांच साल के बच्चों में सकारात्मक भावनाओं से ज्यादा जुड़ने की बात सामने आई। उन्होंने अपनी गलतियों की वजह से झूठ बोलने या नकारात्मक होने की बजाय गलतियों को स्वीकार किया। दूसरी तरफ, सात से नौ साल के बच्चों में गलती के बाद झूठ बोलने और सकारात्मक इरादे के साथ गलती मान लेने की बात देखी गई। प्रमुख शोधकर्ता क्रेग स्मिथ ने कहा कि अध्ययन का मकसद बच्चों के झूठ बोलने और स्वीकार करने की की भावनाओं की पहचान करना है। शोध में यह भी परीक्षण किया गया कि क्या ये भावनाएं बच्चों की स्वीकार करने की प्रवृत्ति जुड़ी या वास्तविक दुनिया के हालात से प्रभावित होती है।
शोधकर्ताओं ने इसमें यह भी व्याख्या की है कि बच्चे अपने बचाव कैसे करते हैं। पत्रिका ‘चाइल्ड साइकोलॉजी’ में स्मिथ ने कहा, “आप बच्चे को बताएं कि आप बिना नाराज हुए उनकी बात को सुनेंगे। एक माता-पिता के रूप में आप अपने बच्चे के किए से खुश नहीं हो सकते, लेकिन आप यदि आप अपने बच्चे से बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहते हैं तो आप को बच्चे को बताना होगा कि उसने आपको गलती बताकर अच्छा कार्य किया है और आप खुश हैं।”