तीनों ने स्पेशल जज विशाल गोगने के समक्ष दलीलें पेश करते हुए दावा किया कि सीबीआई का मामला चुनिंदा लोगों को आरोपी बनाने पर आधारित है और उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं.
उन्होंने मामले में आरोप तय करने के लिए हुई बहस के दौरान सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह के जरिये अपनी दलीलें पेश कीं. लालू, राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार सहित विभिन्न अपराधों के लिए आरोप पत्र दाखिल किया गया है,
जिनके लिए अधिकतम 7 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. तीनों ने कोर्ट के समक्ष दावा किया कि सीबीआई की ओर से उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे, सेलेक्टिव नेचर के और प्रायोजित हैं.
उन्होंने कहा कि सीबीआई के पास उन पर मुकदमा चलाने के लिए सबूतों का अभाव है. मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को फिर से शुरू होगी. सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि ए-1 से लेकर ए-4 (लालू, राबड़ी, तेजस्वी और लारा प्रोजेक्ट्स एलएलपी) तक की आंशिक दलीलें सुनी गईं.
आगे की दलीलें पेश करने के लिए मामले को लिस्ट किया जाए. केंद्र में यूपीए की पहली सरकार में रेल मंत्री रहे लालू यादव ने पहले इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई की ओर से ली गई मंजूरी की वैधता पर सवाल उठाया था.
सीबीआई ने 28 फरवरी को अदालत को बताया था कि आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. यह मामला आईआरसीटीसी के दो होटल के ऑपरेशन का ठेका एक निजी कंपनी को दिए जाने में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़ा है.