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बिहार में हड़कंप लालू यादव का हैरान करने वाला ऐलान बोले अब नीतीश कुमार के साथ मिलकर

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार रविवार को समाप्त हो जाएगा। दूसरे और अंतिम चरण का मतदान मंगलवार को है। इस बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक अहम बयान दिया है।

एक अखबार को दिए इंटरव्यू में लालू ने कहा कि बिहार में इस चुनाव में बेरोजगारी मुख्य मुद्दा है। अगर उनकी पार्टी सरकार बनाती है, तो वह राज्य से बेरोजगारी को खत्म कर देगी।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी के पटना स्थित 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास पर यह बात कही। स्वास्थ्य कारणों से विधानसभा चुनाव प्रचार से पूरी तरह

गायब रहे लालू यादव ने कहा कि इस बार उनकी पार्टी नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल कर देगी। नीतीश कुमार के साथ दोबारा गठबंधन की संभावना के बारे में पूछे गए

एक सवाल के जवाब में राजद मुखिया लालू यादव ने कहा, “हम अब नीतीश कुमार को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।” एक अन्य प्रति-प्रश्न के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह नीतीश के संपर्क में नहीं हैं।

शाह के बयान ने मचाया था बवाल
अखबार ने लिखा कि अगर एनडीए जीत जाता है और भाजपा नीतीश को मुख्यमंत्री नहीं बनाती है, तो क्या जेडीयू प्रमुख फिर से महागठबंधन का रुख कर सकते हैं?

क्योंकि हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक ऐसा बयान दिया जिससे हलचल मच गई थी। उन्होंने कहा कि एनडीए नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री का चुनाव नवनिर्वाचित विधायक करेंगे।

पीएम मोदी ने की नीतीश की तारीफ
इस बयान से नीतीश खेमे में नाराजगी फैल गई। बाद में एनडीए के कई नेताओं ने स्पष्ट किया कि अगर गठबंधन जीतता है तो नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे।

चुनाव प्रचार के दौरान, प्रधानमंत्री ने बिहार के विकास कार्यों का हवाला देते हुए और लालू प्रसाद यादव के “जंगल राज” पर हमला बोलते हुए नीतीश की जमकर तारीफ की। हालांकि, मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह सवाल बना रहा।

बिहार की सियासत= लालू-नीतीश
लालू और नीतीश ने पिछले 35 सालों में बिहार की राजनीति को बार-बार नया रूप दिया है। कभी वे प्रतिद्वंद्वी रहे, तो कभी एक-दूसरे का साथ दिया।

2015 और 2022 में, नीतीश ने राजद से हाथ मिलाकर लालू परिवार की प्रासंगिकता बनाए रखी। दोनों बार उन्होंने तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री बनाया। बदले में लालू ने गठबंधन में मुख्यमंत्री पद का दावा न करके नीतीश को खुली छूट दे दी।

अखबार लिखता है कि नीतीश की चतुराई भरी चालों ने यादव परिवार का वोट बैंक को भाजपा की ओर जाने से रोक दिया। अगर लालू यादव का प्रभाव कमज़ोर होता, तो भाजपा स्वतंत्र रूप से मज़बूत हो जाती और नीतीश की हैसियत कमज़ोर हो सकती थी।