साई बाबा मंदिरों पर आखिर कार हुआ बड़ा फैसला पूरे देश में सन्नाटा

अयोध्या: काशी विश्वनाथ मंदिर में साईं की मूर्ति हटाए जाने के मामले को लेकर अयोध्या के संतों में गहरी नाराजगी है. संत समाज ने इसे न्यायसंगत नहीं माना और कहा कि आस्था

किसी भी व्यक्ति या देवता में हो सकती है. लेकिन साईनाथ हिंदू धर्म के देवता नहीं हैं, इसलिए उन्हें मठ-मंदिरों में स्थापित नहीं किया जाना चाहिए. संतों का मानना है कि

अगर साईंनाथ की पूजा की जानी है, तो उनके लिए अलग से मंदिर बनाए जाने चाहिए. लेकिन सनातन धर्म के मंदिरों में उनकी मूर्ति स्थापित करना उचित नहीं है. काशी के मंदिरों से

साई की मूर्ति हटाने की घटना के बाद हिंदूवादी संगठन के मुखिया अजय शर्मा को शांति भंग के आरोप में हिरासत में लिया गया. इस कार्रवाई के बाद अयोध्या के संतों ने कड़ी

नाराजगी व्यक्त की है और इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं. जगदगुरु राम दिनेशाचार्य ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि साईं हमारे धर्म के देवता नहीं हैं. इसलिए उन्हें हमारे मठ-मंदिरों

में स्थापित नहीं किया जाना चाहिए. उनकी मूर्ति को हटाना शास्त्र सम्मत है. इस मामले में की गई कार्रवाई गलत है. हर किसी को अपनी आस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. लेकिन सनातन धर्म के मंदिरों में साईं की मूर्ति को स्थापित करना हम स्वीकार नहीं करते. उन्होंने आगे कहा कि यदि साई के अनुयायी उन्हें पूजना चाहते हैं, तो वे स्वतंत्र रूप से उनके लिए मंदिर बना सकते हैं. लेकिन सनातन धर्म के मंदिरों में साई की मूर्ति का स्थान नहीं होना चाहिए. राम दिनेशाचार्य ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में लोग भूत-प्रेत को भी पूजते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें मंदिरों में स्थान दिया जाए. मैं उन सभी मंदिरों में से साईं की मूर्ति हटाए जाने का समर्थन करता हूं.

सरयू आरती स्थल के अध्यक्ष शशिकांत दास की टिप्पणी
शशिकांत दास ने इस मामले पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि वाराणसी के मंदिरों से साईं की प्रतिमा हटाना सही कदम है. साई एक फकीर थे. और फकीरों का मठ-मंदिरों में कोई स्थान नहीं है. अगर साईं की पूजा करनी है, तो मजार बनाई जा सकती है. लेकिन मंदिरों में उनकी मूर्ति का क्या काम. उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि मंदिरों में साईं की प्रतिमा हटाई गई है, तो इसके खिलाफ कार्रवाई करना गलत है. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर यह सही है, तो मस्जिदों में भगवान शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाए. फिर इसका विरोध क्यों किया जाता है.

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