महाराष्ट्र के 16 विधायकों की वैधता पर गुरुवार को आने वाला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि देश के लिए भी नजीर बन सकता है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष दोनों की उम्मीदें इस फैसले पर टिकी हैं।
लगभग 11 माह पहले शिवसेना में हुई बड़ी बगावत के बाद से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित उनके गुट के 16 विधायकों की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लंबित है। यदि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट इन विधायकों की सदस्यता को अवैध करार देता है
तो मुख्यमंत्री शिंदे और उनके 15 साथियों को विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है और उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी भी जा सकती है।.लेकिन, ऐसी स्थिति में भी वर्तमान में चल रही शिंदे-फडणवीस सरकार पर कोई खतरा दिखाई नहीं दे रहा है।
यदि न्यायालय की संवैधानिक पीठ 16 विधायकों की सदस्यता को वैध करार देती है, तब तो सरकार भी बची रहेगी और मुख्यमंत्री भी शिंदे ही बने रहेंगे। फडणवीस सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फैसले पर मुख्यमंत्री शिंदे ने कोई टिप्पणी करने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि वह इस पर गुरुवार को बोलेंगे।
जबकि, सरकार में उनके सहयोगी उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार पूरी तरह सुरक्षित है। शिंदे के करीबी माने जाने वाले उनके गुट के प्रवक्ता एवं विधायक संजय शिरसाट ने पत्रकारों से कहा कि हमें कोई ¨चता नहीं है। क्या आपको मैं चिंतित दिखाई दे रहा हूं।
फैसला सुप्रीम कोर्ट का हो, चाहे गेंद फिर से विधानसभा अध्यक्ष के पाले में डाल दी जाए, हमें किसी भी स्थिति में कोई चिंता नहीं है। जबकि, विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि हमें अभी से कोई अनुमान नहीं लगाना चाहिए। फैसला तय करेगा कि लोकतंत्र जिंदा है या नहीं: संजय राउत
हमेशा से सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने पक्ष में आने के प्रति आशांवित रहे विपक्षी दल की उम्मीदें भी इस फैसले पर ही टिकी हैं। उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि यह फैसला तय करेगा कि लोकतंत्र जिंदा है या नहीं। राउत सुप्रीम कोर्ट
की निष्पक्षता की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि इस फैसले से यह निश्चित होगा कि न्यायपालिका संविधान के अनुसार चल रही है या नहीं। वह किसी दबाव में है या नहीं। वह पाकिस्तान के ताजा हालात से तुलना करते हुए कहते हैं कि देखिए, संविधान के अनुसार न चलने वाले पाकिस्तान का क्या हाल हो रहा है।