भारत में पहली बार ऐसा हुआ है जब पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन ने कॉरपोरेट टैक्स को पीछे छोड़ दिया. यानी अब आम लोगों से लिया जाने वाला टैक्स कंपनियों से मिलने वाले टैक्स से ज्यादा हो गया है.
यह बदलाव इस बात का संकेत है कि भारत में टैक्स सिस्टम तेज़ी से बदल रहा है और लोग पहले से ज्यादा ईमानदारी से टैक्स दे रहे हैं.
JM Financial Institutional Securities की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में पर्सनल इनकम टैक्स का हिस्सा कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का लगभग 38% था.
लेकिन दस साल बाद 2024 में यह हिस्सा बढ़कर 53% से ज्यादा हो गया. दूसरी तरफ, कॉरपोरेट टैक्स का हिस्सा पहले 62% के करीब था,
जो अब घटकर 46% तक आ गया है. साफ है कि टैक्स कलेक्शन में अब कंपनियों से ज्यादा आम लोग योगदान दे रहे हैं. पिछले दस सालों में टैक्स भरने वालों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी हुई है.
2014 में करीब 3 करोड़ लोग टैक्स रिटर्न भरते थे, जबकि 2023 तक यह संख्या बढ़कर लगभग 7 करोड़ हो गई. अगर उन लोगों को भी जोड़ लिया जाए जो टैक्स तो चुकाते हैं
लेकिन रिटर्न फाइल नहीं करते, तो यह आंकड़ा करीब 10 करोड़ तक पहुंच जाता है. यानी अब ज्यादा लोग टैक्स नेट में आ गए हैं.
सरकार ने टैक्स सिस्टम को डिजिटल बनाया और टैक्स वसूली को आसान किया. इसी का नतीजा है कि टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) और एडवांस टैक्स की रकम पिछले दस सालों में कई गुना बढ़ गई है.
TDS की वसूली 2014 में 2.5 लाख करोड़ थी, जो 2024 तक बढ़कर 6.5 लाख करोड़ हो गई. एडवांस टैक्स की वसूली भी 2.9 लाख करोड़ से बढ़कर 12.8 लाख करोड़ तक पहुंच गई.
आज इन दोनों की हिस्सेदारी कुल डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का आधे से ज्यादा हिस्सा हो चुकी है.
GST ने भी दिया बड़ा सहारा
2017 में लागू हुए जीएसटी ने भी टैक्स कलेक्शन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. GST लागू होने से छोटे-बड़े कारोबार डिजिटल सिस्टम में आ गए और टैक्स चोरी पर काफी हद तक रोक लगी.
2019 में जीएसटी से जुड़े टैक्सपेयर की संख्या 1.24 करोड़ थी, जो 2024 तक बढ़कर 1.47 करोड़ हो गई. इस बदलाव ने टैक्स बेस को और बड़ा कर दिया.
सैलरी बढ़ने से भी टैक्स कलेक्शन बढ़ा
इनकम टैक्स कलेक्शन बढ़ने की एक और वजह है सैलरी में बढ़ोतरी. 2014 में देश की कुल सैलरी करीब 9.8 लाख करोड़ थी, जो 2023 तक बढ़कर 35.2 लाख करोड़ हो गई.
जब लोगों की सैलरी बढ़ती है तो स्वाभाविक है कि टैक्स कलेक्शन भी बढ़ता है. इसी वजह से पर्सनल इनकम टैक्स 2014 के 2.4 लाख करोड़ से बढ़कर 2023 में 8.3 लाख करोड़ हो गया.
टैक्स टू GDP रेशियो में सुधार
भारत का डायरेक्ट टैक्स टू GDP रेशियो 2001 में 3.2% था, जो 2024 तक बढ़कर 6.6% हो गया है. हालांकि अब भी टैक्स बेस काफी छोटा है. भारत की केवल 7% आबादी टैक्स देती है, जबकि विकसित देशों में यह संख्या लगभग 50% होती है.
अभी और बढ़ सकता है टैक्सपेयर बेस
भारत में पर्सनल इनकम टैक्स कलेक्शन का कॉरपोरेट टैक्स से ज्यादा होना एक बड़ा बदलाव है. यह बताता है कि देश के आम लोग अब टैक्स व्यवस्था में ज्यादा भागीदारी निभा रहे हैं. डिजिटाइजेशन, जीएसटी और मजबूत कंप्लायंस सिस्टम ने इस बदलाव में अहम योगदान दिया है. आने वाले समय में टैक्सपेयर बेस और भी बढ़ सकता है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.