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Rupee Crash: रुपये में भूचाल- ₹88 पार! एशिया की सबसे कमजोर करंसी, युआने के मुकाबले भी टूटा

भारतीय रुपया शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. रुपया ₹88.15 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो अब तक का ऑल-टाइम लो है.

वहीं, भारतीय रुपया शुक्रवार को ऑफशोर चीनी युआन के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. रुपया 12.33 युआन पर ट्रेड हुआ,

जो इस हफ्ते में 1.2% और इस महीने में 1.6% की गिरावट दर्शाता है. पिछले चार महीनों में रुपया युआन के मुकाबले 6% कमजोर हुआ है.

क्या हुआ आज
रुपया आज दिनभर में 0.5% गिरा, जो हाल के दिनों की सबसे तेज़ गिरावट है.इस साल अब तक (YTD) रुपया 3% कमजोर हुआ है, और यह इसे एशिया की सबसे कमजोर करंसी बना देता है.

गिरावट की वजहें
अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने से निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ.लगातार FII सेलिंग (विदेशी निवेशकों की बिकवाली) से डॉलर की मांग बढ़ी.

कच्चे तेल के दाम और ग्लोबल अनसर्टेनिटी ने भी दबाव बढ़ाया. अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जबकि चीन के प्रोडक्ट्स पर फिलहाल 30% ही टैक्स है.

इससे निवेशकों को लग रहा है कि भारत के एक्सपोर्टर्स पर ज्यादा दबाव पड़ेगा.लेकिन, रुपया-युआन रेट बदलने से अब भारत के प्रोडक्ट्स चीनी सामान से सस्ते हो जाएंगे, जो कुछ हद तक राहत है.

कौन से सेक्टर्स पर असर-टेक्सटाइल्स, इंजीनियरिंग गुड्स, केमिकल्स – इन सेक्टर्स में भारत-चीन की सीधी टक्कर है. कमजोर रुपया इन इंडस्ट्रीज को थोड़ा कॉम्पिटिटिव बनाएगा.लंबे समय में इससे भारत-चीन ट्रेड डेफिसिट घट सकता है.

RBI का नजरिया-जानकार कहते हैं कि RBI इसे पॉजिटिव मान रहा है, क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया 88 के ऊपर नहीं गया है (फिलहाल 87.95 रिकॉर्ड लो है).यानी रुपया कमजोर तो है, लेकिन अभी कंट्रोल में है.

निवेशकों के लिए क्या मायने-शॉर्ट-टर्म में टेक्सटाइल, केमिकल, इंजीनियरिंग कंपनियों के शेयरों को राहत मिल सकती है.लेकिन टैरिफ दबाव जारी रहा तो लॉन्ग-टर्म स्ट्रेस रहेगा.

डॉलर के मुकाबले 88 का लेवल क्रिटिकल सपोर्ट है, यहां से नीचे जाने पर बाजार में करंसी दबाव बढ़ सकता है. डॉलर के साथ-साथ युआन के मुकाबले भी रुपया रिकॉर्ड लो पर है.

यह एक तरफ एक्सपोर्टर्स को थोड़ी कॉम्पिटिटिव बढ़त देता है, तो दूसरी तरफ बताता है कि टैरिफ का असर गहराता जा रहा है.

रुपया गिरने से इंपोर्ट महंगा होगा – खासकर कच्चा तेल, गोल्ड, इलेक्ट्रॉनिक्स.दूसरी तरफ, निर्यातक कंपनियों (IT, फार्मा, टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वैलरी) को थोड़ी राहत मिल सकती है क्योंकि डॉलर में आमदनी ज्यादा होगी.बाजार पर मिलाजुला असर रहेगा –

इंपोर्ट-हैवी सेक्टर्स पर दबाव और एक्सपोर्ट-हैवी सेक्टर्स में तेजी देखने को मिल सकती है.रुपया टूटकर 88 पार कर गया है, जो निवेशकों के लिए चेतावनी भी है और मौके भी. जहां महंगाई और इंपोर्टर्स पर दबाव बढ़ेगा, वहीं एक्सपोर्टर्स की कमाई बढ़ सकती है.