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लाश के साथ शारीर‍िक संबंध क्‍यों बनाते हैं अघोरी? रहस्‍य जान रोंगटे खड

उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में कुछ ही द‍िनों में महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है। महाकुंभ में नागा साधुओं के अलावा अघोरी साधु अपनी अनूठी गतिविधियों से लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं।

उनकी क्रियाएँ सामान्य लोगों के लिए असामान्य और घृणास्पद हो सकती हैं, लेकिन उनके लिए ये जीवन का एक सामान्य हिस्सा होती हैं।

अघोरी बाबाओं की भगवान की भक्ति का तरीका बहुत अलग होता है। वे राख से लिपटे और लंबी जटाओं वाले होते हैं, जिनका रूप जितना अजीब होता है,

उनकी जिंदगी उससे भी अधिक रहस्यमय होती है। अघोरी बाबाओं का जीवन तंत्र साधना, भक्ति और अजीब क्रियाओं से भरा होता है, जो आम आदमी के लिए समझना कठिन है।

अघोरी बाबाओं के ल‍िए कहा जाता है क‍ि वो शवो के साथ संबंध बनाते हैं? क्‍या ये सच है और हां, तो वो ऐसा क्‍यों करते हैं?

अघोर रूप शिव के पांच रूपों में से एक माना जाता है। अघोरी शब्‍द को उनकी भक्ति में पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन उनका रहन-सहन और तंत्र साधना का तरीका वीभत्स होता है।

यह अजीब तरीका अघोरी अपने शरीर और आत्मा को पूरी तरह शिव में लीन करने के लिए अपनाते हैं। अघोरी साधु ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करते।

उनका मानना है कि इस तरह के क्रियाकलापों से उन्हें तंत्र विद्या में अधिक महारत हासिल होती है और उनकी आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है। सामान्य साधु ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं,

लेकिन अघोरी इसके विपरीत होते हैं। वे न केवल शवों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं, बल्कि जीवित महिलाओं से भी शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं। इसके अलावा, अघोरी शराब का सेवन करते हैं

और कभी-कभी इंसानी मांस भी खाते हैं। उनका यह जीवनशैली और तंत्र साधना का तरीका अन्य साधुओं से बिल्कुल अलग और रहस्यमय होता है, जो आम तौर पर समाज से बहुत भिन्न होता है।

अघोरी साधु अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए शवों और जीवित इंसानों के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। वे जीवित महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं,

खासकर जब महिला का मासिक धर्म चल रहा हो। उनका मानना है कि इस तरह के कृत्यों से उनकी तंत्रिक शक्तियां और ऊर्जा बढ़ती हैं, जो उनके साधना का हिस्सा होती है।