Home देश फिर 56 हजार पर पहुंचेगा सोना? कीमतों में जबरदस्त गिरावट की अटकलें

फिर 56 हजार पर पहुंचेगा सोना? कीमतों में जबरदस्त गिरावट की अटकलें

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सोने के खरीदारों और निवेशकों के मन में आजकल एक बड़ा सवाल घूम रहा है – क्या सोना वाकई इतना सस्ता हो जाएगा कि यह 56 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ जाए?

पिछले कुछ समय से सोने की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, और ऐसे में यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्या निकट भविष्य में सोने की कीमतों में कोई बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है?

आइए जानते हैं इस संभावना के पीछे के कारकों और विशेषज्ञों की राय। हाल के दिनों में वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कई ऐसे बदलाव देखे गए हैं, जो सोने की कीमतों पर दबाव डाल सकते हैं।

इनमें प्रमुख हैं:
बढ़ती हुई ब्याज दरें: दुनिया भर के केंद्रीय बैंक, खासकर अमेरिका का फेडरल रिजर्व, महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं।

ब्याज दरों में वृद्धि से बॉन्ड जैसे अन्य सुरक्षित निवेश अधिक आकर्षक हो जाते हैं, जिससे सोने की मांग में कमी आ सकती है। चूंकि सोना कोई आय नहीं देता है, इसलिए उच्च ब्याज दरों के माहौल में इसकी आकर्षण कम हो जाती है।

मजबूत होता डॉलर: जब अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है, तो अन्य मुद्राओं वाले खरीदारों के लिए सोना महंगा हो जाता है। वर्तमान में, अमेरिकी अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत मजबूत दिख रही है, जिससे डॉलर को समर्थन मिल रहा है। डॉलर की मजबूती सोने की कीमतों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

कम होती महंगाई का दबाव: अगर वैश्विक स्तर पर महंगाई का दबाव कम होता है, तो सोने की हेजिंग मांग (मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव) भी कम हो सकती है। सोना अक्सर महंगाई के खिलाफ एक सुरक्षित ठिकाना माना जाता है, और महंगाई कम होने पर इसकी मांग घट सकती है।

भू-राजनीतिक स्थिरता: हालांकि वर्तमान में कई भू-राजनीतिक तनाव मौजूद हैं, लेकिन अगर भविष्य में वैश्विक स्तर पर स्थिरता आती है, तो सोने की सुरक्षित-संपत्ति मांग में कमी आ सकती है। अनिश्चितता के समय में निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं।

क्या वाकई 56 हजार रुपये तक गिर सकता है सोना?
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, कुछ विश्लेषक सोने की कीमतों में गिरावट की संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं। हालांकि, 56 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम का स्तर एक महत्वपूर्ण गिरावट होगी, और इसके लिए कई कारकों का एक साथ अनुकूल होना आवश्यक है।

विश्लेषकों की राय: कई वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि सोने की कीमतों पर दबाव बना रहेगा, लेकिन इतनी बड़ी गिरावट की संभावना कम है। उनका तर्क है कि अभी भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता बनी हुई है, और सोना एक महत्वपूर्ण सुरक्षित संपत्ति बना रहेगा।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: सोने की कीमतों का ऐतिहासिक विश्लेषण बताता है कि इतनी तेज और बड़ी गिरावट असामान्य है, खासकर जब भू-राजनीतिक जोखिम और मुद्रास्फीति की आशंकाएं अभी भी मौजूद हैं।

मांग और आपूर्ति: सोने की भौतिक मांग, खासकर भारत और चीन जैसे बड़े बाजारों से, कीमतों को एक निश्चित स्तर से नीचे गिरने से रोक सकती है। इसके अलावा, सोने की खनन लागत भी कीमतों के लिए एक निचला स्तर निर्धारित करती है।

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