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तेजस्वी यादव को लेकर बुरी खबर आई सामने उसके खुद के भाई ने ही कर दी उसकी

बिहार की राजनीति में बाज़ी वही जीतता है, जिसकी चाल सटीक हो। तेजस्वी यादव बिहार की सियासत की धुरी बन चुके हैं लेकिन इस बार अपने

ही गढ़ राघोपुर से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन उनके सपनों को चुनौती देने की तैयारी पहले ही शुरू हो चुकी है।

इस बार उनकी घेराबंदी में सबसे बड़ा नाम उनके बड़े भाई, तेज प्रताप यादव का है, जिन्होंने तेजस्वी के खिलाफ अपने भरोसेमंद प्रत्याशी मैदान में उतारा है।

तेज प्रताप का प्रत्याशी: प्रेम कुमार
तेज प्रताप ने तेजस्वी के खिलाफ मैदान में प्रेम कुमार को उतारा है। प्रेम कुमार पहले राजद के ही वरिष्ठ नेता रह चुके हैं।

शैक्षिक और संपत्ति विवरण
• शिक्षा: प्रेम कुमार ने 10वीं और 12वीं बिहार बोर्ड से पूरी की, ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से किया।

• आगे की पढ़ाई: हरियाणा के हिसार से पत्रकारिता में MA और महाराष्ट्र के वर्धा विश्वविद्यालय से इतिहास में MA किया। इसके अलावा पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय से LLB भी पूरा किया।

• संपत्ति: उनके पास लगभग 9.7 लाख रुपये का बैंक बैलेंस, 18 लाख रुपये के गहने और लगभग एक बीघा जमीन है।

राजनीतिक सफर
यादव जाति से आने वाले प्रेम कुमार राघोपुर विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं। छात्र राजनीति में दिल्ली विश्वविद्यालय से सक्रिय रहे

और रामविलास पासवान के समय छात्र लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। 2015 में तेजस्वी यादव की पहली चुनावी सभा में उन्होंने राजद का हाथ थामा

और तेजस्वी की जीत में अहम भूमिका निभाई। हालांकि, पार्टी में अपेक्षित सम्मान न मिलने पर उन्होंने अलग रास्ता अपनाया। अब, लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप की टीम में शामिल होकर तेजस्वी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं।

राघोपुर का चुनावी गणित
• 1998 के बाद से राघोपुर पर राजद का एकछत्र प्रभुत्व।
• 1995, 2000 में लालू प्रसाद यादव, 2000 के उपचुनाव और 2005 में राबड़ी देवी की जीत।

• 2015 और 2020 में तेजस्वी यादव ने लगातार जीत हासिल की।
• विधानसभा क्षेत्र ने तीन केंद्रीय मंत्री दिए: रामविलास पासवान, चिराग पासवान, पशुपति कुमार पारस।

• जातीय समीकरण: लगभग 31% यादव, 18% दलित, 18% राजपूत, 6% चिराग पासवान समर्थक दलित, 3% ब्राह्मण और 3% मुस्लिम।

चुनावी जटिलता
राघोपुर में तीन यादव और एक राजपूत उम्मीदवार हैं। यादवों के बाद सबसे अधिक वोटर राजपूत हैं। यदि यादव वोट बंटते हैं और

अन्य जातियों के वोट किसी प्रत्याशी के साथ मिलते हैं, तो स्थिति पूरी तरह बदल सकती है। तेजस्वी और तेज प्रताप के उम्मीदवारों के बीच इस बार माहौल काफी तनावपूर्ण है। 31% यादव आबादी वाले इस क्षेत्र में जीत हासिल करना किसी भी प्रत्याशी के लिए आसान नहीं होगा।