भारत ने म्यांमार की मानवाधिकार स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि पहलगाम आतंकवादी हमले से म्यांमार से विस्थापित लोग प्रभावित हुए हैं।
भारत ने इस रिपोर्ट को झूठा और निराधार बताया। भारत ने म्यांमार में हिंसा को तत्काल समाप्त करने का अपना आह्वान भी दोहराया और इस बात पर बल दिया कि
स्थायी शांति केवल समावेशी राजनीतिक वार्ता और विश्वसनीय एवं सहभागी चुनावों के माध्यम से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की शीघ्र बहाली से ही सुनिश्चित की जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में मंगलवार को म्यांमार में मानवाधिकार की स्थिति पर संवाद के दौरान भारत की ओर से बयान देते हुए,
लोकसभा सदस्य दिलीप सैकिया ने म्यांमार की मानवाधिकार स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक द्वारा की गई ‘निराधार और पक्षपातपूर्ण’
टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं अपने देश के संबंध में रिपोर्ट में की गई आधारहीन और पक्षपातपूर्ण टिप्पणियों पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करता हूं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकवादी हमले को म्यांमार से विस्थापित लोगों से जोड़ने का दावा बिल्कुल भी तथ्यात्मक नहीं है।
सैकिया ने कहा, ‘मेरा देश विशेष प्रतिवेदक द्वारा किए गए इस तरह के पूर्वाग्रह और संकीर्ण विश्लेषण को अस्वीकार करता है।’
म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी हालिया रिपोर्ट में विशेष प्रतिवेदक थॉमस एच एंड्रयूज ने कहा, ‘अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर में हिंदू पर्यटकों पर
हुए आतंकवादी हमले के बाद, म्यांमार के शरणार्थी भारत में गंभीर दबाव में हैं, भले ही उस हमले में म्यांमार का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं था।’
एंड्रयूज ने आरोप लगाया कि भारत में म्यांमार के शरणार्थियों को ‘हाल के महीनों में भारतीय अधिकारियों द्वारा बुलाया गया, हिरासत में लिया गया, पूछताछ की गई और निर्वासित करने की धमकी दी गई।’
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ से आग्रह करते हुए कि वे असत्यापित और पूर्वाग्रह से ग्रस्त मीडिया खबरों पर भरोसा न करें, जिनका एकमात्र उद्देश्य भारत को बदनाम करना प्रतीत होता है’,
सैकिया ने रेखांकित किया कि देश में 20 करोड़ से अधिक मुसलमान रहते हैं, जो विश्व की मुस्लिम आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है, तथा सभी धर्मों के लोगों के साथ सद्भाव से रह रहे हैं।