बांग्लादेश के चटगांव में शुक्रवार की नमाज के बाद चरमपंथी गुटों ने दो हिंदू मंदिरों और अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला कर दिया।
राधा गोविंद और शांतनस्वरी मातृ मंदिर को निशाना बनाया गया। इस हिंसा के चलते क्षेत्र में रहने वाले कई हिंदू परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भागने को मजबूर होना पड़ा।
हमलावर जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) से जुड़े थे।
हिंसा उस समय हुई जब क्षेत्र में हिंदू धार्मिक संगठन इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर मार्च निकाला जा रहा था।
आरोप है कि पुलिस और सेना ने घटनास्थल पर पहुंचकर हस्तक्षेप नहीं किया और मूकदर्शक बने रहे। चटगांव का यह इलाका 90% हिंदू आबादी वाला है।
हिंसा के बाद कई लोगों ने संभावित और बड़े हमले की आशंका में अपना घर छोड़ दिया।अगस्त में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और मूर्तियों पर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक 200 से अधिक मंदिरों को निशाना बनाया जा चुका है।
इस बीच, हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है। साधु की गिरफ्तारी के बाद हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश है,
जिसके चलते सुरक्षा बलों के साथ झड़पें भी हुईं।इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हालांकि, अदालत ने इस वैश्विक धार्मिक संगठन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया।
बांग्लादेश सरकार ने इसे “धार्मिक कट्टरपंथी संगठन” करार दिया था। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता जताई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “यह मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है कि वह बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा सुनिश्चित करे। भारत ने इन घटनाओं पर लगातार और सख्ती से बांग्लादेश सरकार के समक्ष अपनी चिंता व्यक्त की है। हम बांग्लादेश से आग्रह करते हैं कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए।”