नई दिल्ली। बांधवगढ़ अभयारण्य मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। इसे 1968 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। यह उद्यान अपने बाघों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध सफेद चीते की खोज यहीं हुई थी। बांधवगढ़ उद्यान का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी में है, जो बांधवगढ़ के भव्य किले का हिस्सा है। पहले बांधवगढ़ के चारों ओर फैले जंगल का रख-रखाव रीवा के महाराजा के शिकारगाह के रूप में किया जाता था। 1951 में आखिरी बार यहां के राजा ने चीते का शिकार किया था। 1993 में इस पार्क को टाईगर प्रोजेक्ट के अधीन लाया गया। यह खासतौर पर टाइगर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। बाघों से रूबरू होने की यह सही जगह है। सड़कों के बीचोंबीच बाघों को आसानी से देखा जा सकता है।

मुख्य आकर्षण
किला
बांधवगढ़ की पहाड़ी पर 2 हजार वर्ष पुराना किला बना है। जिसे रीवा के महाराजाओं ने बनवाया था। 800 मीटर की ऊंचाई पर बने इस किले से शहर और जंगल का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है। इस किले की अपनी एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि इस किले को भारत और लंका के बीच सेतुसमुद्रम बनाने वाले वानरों ने बनाया था। राम, लक्ष्मण और हनुमान ने लंका से वापसी के समय यहां विश्राम किया था। तब राम ने यह किला लक्ष्मण को भाई के प्रेम की निशानी के तौर भेंट किया। लक्ष्मण को बांधवधीश की उपाधि यहीं से मिली। बाद में यह किला रीवा के राजाओं के अधीन रहा।
जंगल
बांधवगढ़ में बांस के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं। बांधवगढ़ का वन क्षेत्र फ्लोरा और फना की प्रजातियों से भरा हुआ है। जंगल में नीलगाय और चिंकारा सहित हर तरह के वन्यप्राणी और पेड़ हैं।

वन्यप्राणी
इस राष्ट्रीय उद्यान में पशुओं की 22 और पक्षियों की 250 प्रजातियां पाई जाती हैं। हाथी पर सवार होकर या फिर वाहन में बैठकर इन वन्यप्राणियों को देखा जा सकता है।
कब जाए
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान घूमने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से जून के मध्य है। अगर आप पक्षियों को देखने के शौकीन हैं तो नवंबर से मार्च का महीना सबसे सही है। फरवरी से अप्रैल के बीच यहां के बहुत से वृक्ष विशेष लाल रंग के फूलों से ढके होते हैं। कैसे पहुंचे
बांधवगढ़ का सबसे नजदीक हवाईअड्डा जबलपुर और खजुराहो है। रेल मार्ग से भी बाधवगढ़ जबलपुर, कटनी और सतना से जुड़ा है। खजुराहो से लगभग 237 कि.मी. और जबलपुर से 195 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

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