Home हेल्थ गभार्वस्था में ही एनआईपीटी से पता शिशु की जेनेटिक गड़बड़ी

गभार्वस्था में ही एनआईपीटी से पता शिशु की जेनेटिक गड़बड़ी

0

शोध कंपनी मेडजेनोम ने गभार्वस्था में सटीक जांच के लिए नॉन-इनवैसिव प्रीनैटल टेस्टिंग (एनआईपीटी) पेश किया है जो गर्भस्थ शिशु के जन्म से काफी पहले डाउंस सिंड्रोम जैसी असामान्य क्रोमोसोम संबंधी गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रभावी, सटीक और सुरक्षित तरीका साबित होगा। मेडजेनोम में एनआईपीटी की कार्यक्रम निदेशक प्रिया कदम ने नुकसानरहित जांच प्रक्रिया के महत्व के बारे में बताया, ‘एनआईपीटी किसी खास उम्र के लोगों के लिए नहीं है और इसे बच्चे की सेहत सुनिश्चित करने के लिए सभी गर्भवती महिलाओं को मुहैया कराया जा सकता है। इसके अलावा अधिक सटीक होने, सुरक्षा और गड़बड़ी की कमी की कम दर के कारण एनआईपीटी किसी भी गर्भवती महिला के लिए उपयुक्त विकल्प है और इसे गभार्वस्था के 9वें सप्ताह में ही कराया जा सकता है।’

उन्होंने कहा, ‘एनआईपीटी एक क्रांतिकारी जांच है और बेहतर जागरूकता और स्वीकृति के साथ यह टेस्ट हमारे देश की जेनेटिक गड़बड़ी के बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।’ कंपनी ने एक बयान में कहा कि मां की बांह से लिए गए खून के मामूली नमूने से एनआईपीटी स्क्रीनिंग टेस्ट में भ्रूण के कोशिकामुक्त डीएनए का विश्लेषण और क्रोमोसोम संबंधी दिक्कतों की जांच की जाती है। यह परीक्षण पूरी तरह सुरक्षित है और इसमें कोई नुकसान नहीं होता है। 99 फीसदी से अधिक स्तर तक बीमारी का पता लगाने की दर और 0.03 फीसदी से भी कम गलती के साथ यह जांच काफी हद तक सटीक है। जिन परिस्थितियों में एनआईपीटी को लागू किया गया वहां नुकसानदायक प्रक्रियाओं में 50-70 फीसदी तक की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई।

इस अध्ययन में एनआईपीटी स्क्रीनिंग 516 गर्भवतियों पर किया गया जिनमें पहली और दूसरी तिमाही में पारंपरिक स्क्रीनिंग टेस्ट (डबल मार्कर, क्वॉड्रपल मार्कर टेस्ट) में अत्यधिक जोखिम की जांच की गई। इन परीक्षणों की पुश्टि नुकसानदायक परीक्षण या जन्म के बाद क्लिनिकल परीक्षण के माध्यम से हुई। जांच के परीक्षणों के लिए 98 फीसदी से अधिक मामलों में कम जोखिम और 2 फीसदी में अधिक जोखिम की जानकारी मिली। इस बात पर गौर करना चाहिए कि पारंपरिक जांच के माध्यम से अधिक जोखिम वाली गभार्वस्थाओं को एनआईपीटी के साथ कम जोखिम वाला पाया गया। इसका मतलब है कि बड़ी तादाद में महिलाएं (98.2 फीसदी) एमिनोसेंटेसिस जैसी नुकसानदायक प्रक्रियाओं से बच सकती हैं जिससे भावनात्मक परेशानी होती है और इनमें गर्भपात का भी मामूली जोखिम होता है। मेडजेनोम फिलहाल बेंगलुरू स्थित अपनी सीएपी प्रमाणित प्रयोगशाला में विभिन्न प्रमुख बीमारियों के लिए विभिन्न प्रकार के परीक्षणों की पेशकश कर रही है जिनमें एक्जोम सीक्वेंसिंग, लिक्विड बायोप्सी और करियर स्क्रीनिंग शामिल है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here